आज़ादी के मतवाले
आज़ादी के मतवाले थे
शोलों काँटों पे चलने वाले थे
पिछे नहीं हटने वाले थे
उनको रोक सका था कौन
उनको बाँध सका था कौन ।
बाधाएं बन उनकी संगिनी
मन में दहकती अग्नि
सुना रही थी स्वतंत्रता की रागिनी
उनको रोक सका था कौन
उनको बाँध सका था कौन ।
प्रारम्भ से परिणाम तक
देशवासियों के आत्मसम्मान तक
देशवासियों के आहवान.तक
उनको रोक सका था कौन
उनको बाँध सका था कौन ।