आज़ादी के ज़ंग शुरू बा फिर आज़ादी के ज़ंग शुरू बा हम देखीं के कवना ओर बा! जो एक तरफ़ मज़दूर-किसान तअ एक तरफ़ क़ातिल-चोर बा!!