आज़ादी का जश्न
आज़ादी का जश्न
ऐसे मनाओ, साथियों
जहां भी हो गुलामी
उसे मिटाओ, साथियों…
(१)
छिपेंगे भी तो कहां
ये शैतान के नुमाइंदे
हरेक स्याह घर में
चिराग़ जलाओ, साथियों…
(२)
सदियों से इंसानी
हुक़ूक़ से महरूम जो
ऐसे महकूमों को
इंसाफ़ दिलाओ, साथियों…
(३)
जब भी हुक़्मरान से
कोई सवाल पूछना हो
सबसे पहले वहां
हमें बुलाओ, साथियों…
(४)
जीते रहेंगे कब तक
वे जिल्लत की ज़िंदगी
मीडिया वालों की
गैरत जगाओ, साथियों…
(५)
जम्हूरियत के लिए
होने वाले मुजाहिरों में
‘शेखर’ की इंकलाबी
ग़ज़ल सुनाओ, साथियों…
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Shekhar Chandra Mitra
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