आजमाना चाहिए था by Vinit Singh Shayar
मेरे इस चेहरे पे तरस खाना चाहिए था
इक बार हमें भी आजमाना चाहिए था
महफ़िल में जिक्र हुई किसी की हुस्न की
इक बार आपको भी शर्माना चाहिए था
मेरा साथ छोड़ा है ज़माने भर के हकीमों ने
ऐसे में आप को मेरे पास आना चाहिए था
लोग काट लेते हैं जिंदगी अजनबी के सहारे
आपको तो आपके पीछे जमाना चाहिए था
जाने कितनों के दिलों पे राज कर रही हैं आप
हमको बस आपके दिल में ठिकाना चाहिए था
आपके लहंगे से तो हमको कोई दिक्कत नहीं
आपको आंखों पे भी काजल लगाना चाहिए था
विनीत तुम को देखकर जो मुस्कुराता है सदा
देख कर उसको तुम्हें भी मुस्कुराना चाहिए था
~विनीत सिंह Vinit Singh Shayar