आजकल बहुत याद-कोमल के दिल से
आजकल बहुत याद- गजल-कोमल अग्रवाल
आजकल बहुत याद आने लगे हो
क्या किसी और से दिल लगाने लगे हो ?
मेरी वफ़ाओं का क्या ये ही सिला दोगे हमदम
अचानक देख कर मुझको बहाने बनाने लगे हो ।
ये जो लौटते हो न आधी आधी रातों को घर
क्या कहीं और शामें बिताने लगे हो ?
कल ही तो फिकरा कसा था किसी ने मुझ पर
क्या मोहल्ले मे मुझको बेवफा बताने लगे हो ?
तुमने ही तो लगाया था ये बाग गुलाबों का
अब उसी पर से तितलियाँ उड़ाने लगे हो ।
बड़े अरमानों से जलाती हूँ मई विश्वास का दिया
जाने किस सूरज की तलाश मे उसको बुझाने लगे हो ।
इतनी तो कमियाँ मुझमे कभी न थी जाना
रोज मुझको क्यूँ आईना दिखाने लगे हो ?
ज़िंदगी जितनी थी आसान उतनी हो जाएगी मुश्किल
एकतरफा फैसला जो सुनाने लगे हो ।
मई करती हूँ खारिज तुम्हारी एकछत्र सत्ता को
बहुत मासूमों का दिल दुखाने लगे हो ।
कह दो वो नाम जो होंठों पर आने को मचलता है
जिसके किस्से दोस्तों की महफ़िल मे सुनाने लगे हो ।
रखती है कोमल भी पत्थर का कलेजा
टूट जाएंगे सारे जो नश्तर दिल पर चलाने लगे हो ।
आजकल बहुत याद आने लगे हो।।
आजकल बहुत याद- गजल-कोमल अग्रवाल
आजकल बहुत याद आने लगे हो
क्या किसी और से दिल लगाने लगे हो ?
मेरी वफ़ाओं का क्या ये ही सिला दोगे हमदम
अचानक देख कर मुझको बहाने बनाने लगे हो ।
ये जो लौटते हो न आधी आधी रातों को घर
क्या कहीं और शामें बिताने लगे हो ?
कल ही तो फिकरा कसा था किसी ने मुझ पर
क्या मोहल्ले मे मुझको बेवफा बताने लगे हो ?
तुमने ही तो लगाया था ये बाग गुलाबों का
अब उसी पर से तितलियाँ उड़ाने लगे हो ।
बड़े अरमानों से जलाती हूँ मई विश्वास का दिया
जाने किस सूरज की तलाश मे उसको बुझाने लगे हो ।
इतनी तो कमियाँ मुझमे कभी न थी जाना
रोज मुझको क्यूँ आईना दिखाने लगे हो ?
ज़िंदगी जितनी थी आसान उतनी हो जाएगी मुश्किल
एकतरफा फैसला जो सुनाने लगे हो ।
मई करती हूँ खारिज तुम्हारी एकछत्र सत्ता को
बहुत मासूमों का दिल दुखाने लगे हो ।
कह दो वो नाम जो होंठों पर आने को मचलता है
जिसके किस्से दोस्तों की महफ़िल मे सुनाने लगे हो ।
रखती है कोमल भी पत्थर का कलेजा
टूट जाएंगे सारे जो नश्तर दिल पर चलाने लगे हो ।
आजकल बहुत याद आने लगे हो।।