– आजकल गहलोत अकेला पड़ गया है –
– आजकल गहलोत अकेला पड़ गया है –
रिश्ते नाते टूट चुके,
स्वार्थी हो गया परिवार,
सब अपना अपना उल्लू साध रहे,
ना करता कोई परिवार के हित की बात,
ना कोई चाहता पारिवारिक एकता (संयुक्त परिवार) सब करते स्वतंत्रता (एकल परिवार) की मांग,
में अबोध नासमझ करता रहता हमारे दादा परदादा की बात,
परिवार में हो गए सब गूंगे बहरे,
किसी को कुछ भी समझ न आए,
बन गए सब ध्रृतराष्ट्र की तरह,
मेरे साथ जो अन्याय हो रहा उनको दिखता ना,
अन्याय में सम्मलित वे भी धर्मराज की तरह,
कौन करेगा न्याय,
भरत इस धर्म युद्ध में अपने आपको अभिमन्यु सा मान
आजकल गहलोत अकेला पड गया है,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184