आजकल के लोग स्नेह, सौहार्द्र व सद्भाव के बजाय केवल स्वार्थ क आजकल के लोग स्नेह, सौहार्द्र व सद्भाव के बजाय केवल स्वार्थ की भाषा समझते हैं।