आजकल की दुनिया में
आजकल की दुनिया में
पहले सी दुनिया कहां से लाएं।
उम्मीदों का दामन थामे कब तक बैठे?
क्यों ना प्रेम का पहला दीप खुद ही जलाएं।
जो भी रूठे हैं अपने हमसे,
चलो पहले उन्हें मनाएं।
पहले तुम के इन्तज़ार में,
कहीं दुनिया से बिछड़ ना जाएं।।
भगवती पारीक ‘मनु’