आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
मैं तो लिखकर मिटाता हूं इक राधा नाम
तेरी यादोंको दिल में समेटे_फिरूं
मेरा दिल गुन गुनाता है इक राधा नाम
कभी_ हंसता हूं रोता तड़पता हूं मैं
बस मुझे याद रहता है इक राधा नाम
हे दया की_ निधि इक कृपा_ कीजिए
दिल खुशियां पिरोता है इक राधा नाम
कृष्णा पागल हुआ राधिका के बिना
सारी दुनिया को दिखता इक राधा नाम
✍️कृष्णकांत गुर्जर धनौरा