आग तो लगी हैं यंहा भी और वंहा भी
आग तो लगी हैं यंहा भी और वंहा भी
फ़र्क सिर्फ इतना हैं वंहा मिडिया बिकी नहीं
क्या फर्क पड़ता अपने हो या बेगाने
सच्ची देशभक्ति को कुर्बानिया हीं देना हैं
यह तो सदियोंसे चलता आया हैं
मुघल ,अंग्रेज ,फ्रेंच , डच ,हिटलर
चाहे क्यों ना हो हमारे अपने चुने हुये
सच और झूट की लड़ाई तो अटल हैं
अपना देश मिटटी के लिए मर मिटनेवाले
कल भी थे ,आज भी हैं और कल भी रहेंगे
दुःख तो सिर्फ इतना हैं जुल्म ढानेवाले
हमारे अपने हैं खैर वो भी एक इतिहास रहा हैं
क्या करे ? समझ में नहीं आता जब
दो – दो हात करने का वक्त आता हैं
तब तकलीफ तो होती हैं पर जरुरत भी
संघर्ष तो अटल हैं रामायण हो महाभारत