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8 Feb 2017 · 1 min read

**** आग्रह ****

ऐ यार !
मायूस हो चला हूँ मै
एक सूखे पेड़ की तरह
अरे ! सूखे पेड़ में भी
मौसम-ए-बहार आती है
फिर मुझे ही क्यो ?
वियोग में छोड़ा अकेला
आओ हमें भी पिलादो
इन मदभरी
आँखों से ज़रा
मिलन करो हमसे
हमें भी हरा-भरा
जीवन जीने की
राह दिखाओ ना ।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 278 Views
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