**** आग्रह ****
ऐ यार !
मायूस हो चला हूँ मै
एक सूखे पेड़ की तरह
अरे ! सूखे पेड़ में भी
मौसम-ए-बहार आती है
फिर मुझे ही क्यो ?
वियोग में छोड़ा अकेला
आओ हमें भी पिलादो
इन मदभरी
आँखों से ज़रा
मिलन करो हमसे
हमें भी हरा-भरा
जीवन जीने की
राह दिखाओ ना ।।
?मधुप बैरागी