आग्रह
बस एक बार आ जाना तुम !
उधार रखी है..
सपनों की देह की छुअन!
चुका जाना ब्याज ..
लालसाओं का भी
चुपचाप !
छोड़ जाना मेरे पास ..
सुरसरि जैसा अपना मन !
उठा ले जाना विचारों के
श्याम मेघों से
प्रणय का प्रतीक्षारत चंद्रमा ।
मत लगा जाना…
मेरी आतुरताओं की
सलिला पर ….
कड़ुवें सत्यों का बाँध ।
कर जाना हल
एकाकी प्रतीक्षा का ..
साथ-साथ ..
सुनो !
बस एक बार आ जाना तुम!
रश्मि लहर