आगे बढ़कर जीतता, धावक को दे मात (कुंडलिया)
आगे बढ़कर जीतता, धावक को दे मात (कुंडलिया)
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आगे बढ़कर जीतता ,धावक को दे मात
मंजिल उसको ही मिली ,चलता जो दिन-रात
चलता जो दिन-रात ,नहीं आलस है करता
बाधा कर हर पार ,नित्य जग में पग धरता
कहते रवि कविराय ,शशक-कछुआ दो भागे
कथा सर्व-विख्यात ,समर्पित कछुआ आगे
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शशक = खरगोश
धावक = दौड़ लगाने वाला
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451