” आगुआयल गाम आ पछुआयल शहर “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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शहर –‘ हम कहैत छी
जे हमर शहर आगुआयल अछि
गाम त बुझू पछुआयल अछि !
हम विकसित छी ,सुविधा हमरा
पहिने भेटल
विजली,पानि,सड़क,मकान आ
सब सुबिधा सं संम्पन छी
हम खान-पान मे परहेज करि
हमरा कोनो मतलब नहि आन सं
हम रहैत छी शान सं !!’
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गाम—‘ गाम सुनि रहल छल
शहरक विवेचना
हम नहि क रहल छी
ककरो आलोचना
हाँ ! हम सब सुख-समृद्धि
सं बंचित छी पर हम समाज सं जुडल छी !
किनको विपदा जे लेशमात्र
कखनो हुनका ज छूबैत छनि
हम सब ग्रामीण मिलजुली कें
हुनकर पीठ पर ठाढ़ छियनी
हम दुःख-सुख मे एकदोसर कें पूरक छी
हम मिलजुल बोझ उठाबैत छी
शोकक क्षण मे यदि ‘भानस’ बंद भेल
ग्रामीण ‘पुछारी ‘ थारी भरि देल
कतबो हम किया न मलिन रहब
सहयोगक भावना नहि मिटा सकब !!
………………………
इ सब सुनि कें निर्णय करय पडत
के आगू अछि के पाछू?
के अपना सं अछि कात-कात
के जुडल वृक्ष सं पात-पात ???????
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत