आगाज़ ….
आगाज़ बदल जाते हैं अंज़ाम बदल .जाते हैं
वक्त के साथ लोगों के निज़ाम बदल जाते हैं
डरने लगी हयात जब अन्जाम के .ख्याल से
चलते चलते ज़िस्म के मक़ाम बदल .जाते हैं
सुशील सरना
आगाज़ बदल जाते हैं अंज़ाम बदल .जाते हैं
वक्त के साथ लोगों के निज़ाम बदल जाते हैं
डरने लगी हयात जब अन्जाम के .ख्याल से
चलते चलते ज़िस्म के मक़ाम बदल .जाते हैं
सुशील सरना