Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Nov 2023 · 1 min read

आगाह

वहशी दरिन्दों पर हमदर्दी जताना
छोड़ दो ,
सियासत को दहश़़तग़र्दी से मिलाना
छोड़ दो ,

जो अपनो के ना हुए वो तुम्हारे
किस- क़दर बनेंगे ,
ये ख़ुदगर्ज़ वक्त आने पर तुम्हें भी
मिटा कर रहेंगे ,

नापाक़ इरादों की इंतिहा,
बर्बादी की ओर ले जाती है ,
ज़िंदगी शर्मसार होती है,
इंसानियत सिसकती रह जाती है,

वक्त रहते सियासी ख़ुदगर्ज़ी की
तीरगी से बाहर आओ,
इंसानियत को पहचानो ,
अपने फर्ज़ और ज़र्फ़ को जानो,

वरना अपने ही बुने जाल में
उलझकर रह जाओगे ,
लाख कोशिश करने पर भी
उबर ना पाओगे।

Language: Hindi
160 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
व्याकरण कविता
व्याकरण कविता
Neelam Sharma
कुछ बाते बस बाते होती है
कुछ बाते बस बाते होती है
पूर्वार्थ
शांति का पढ़ाया पाठ,
शांति का पढ़ाया पाठ,
Ranjeet kumar patre
बांते
बांते
Punam Pande
तन्हाई से सीखा मैंने
तन्हाई से सीखा मैंने
Mohan Pandey
प्रकृति की सुंदरता देख पाओगे
प्रकृति की सुंदरता देख पाओगे
Sonam Puneet Dubey
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
"जमाने को"
Dr. Kishan tandon kranti
ईश्क में यार थोड़ा सब्र करो।
ईश्क में यार थोड़ा सब्र करो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
3569.💐 *पूर्णिका* 💐
3569.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
युग प्रवर्तक नारी!
युग प्रवर्तक नारी!
कविता झा ‘गीत’
पेड़ से कौन बाते करता है ?
पेड़ से कौन बाते करता है ?
Buddha Prakash
"जो सब ने कहा, जो जग ने कहा, वो आपने भी दोहरा दिया तो क्या ख
*प्रणय*
मां शारदे वंदना
मां शारदे वंदना
Neeraj Agarwal
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बड़े बड़े लेख लिखे जाते हैं महिला दिवस पर पुरुषों द्वारा।
बड़े बड़े लेख लिखे जाते हैं महिला दिवस पर पुरुषों द्वारा।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आसान नही सिर्फ सुनके किसी का किरदार आंकना
आसान नही सिर्फ सुनके किसी का किरदार आंकना
Kumar lalit
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
अमित
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
Befikr Lafz
फिर फिर गलत होने का
फिर फिर गलत होने का
Chitra Bisht
गिरगिट बदले रंग जब ,
गिरगिट बदले रंग जब ,
sushil sarna
ज्यों स्वाति बूंद को तरसता है प्यासा पपिहा ,
ज्यों स्वाति बूंद को तरसता है प्यासा पपिहा ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
अंदाजा था तुम्हें हमारी हद का
अंदाजा था तुम्हें हमारी हद का
©️ दामिनी नारायण सिंह
*अध्याय 5*
*अध्याय 5*
Ravi Prakash
****दोस्ती****
****दोस्ती****
Kavita Chouhan
तुझे नेकियों के मुँह से
तुझे नेकियों के मुँह से
Shweta Soni
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
Suryakant Dwivedi
जंग अहम की
जंग अहम की
Mamta Singh Devaa
भूखे हैं कुछ लोग !
भूखे हैं कुछ लोग !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...