आगामी चुनाव की रणनीति (व्यंग्य)
आगामी चुनाव की रणनीति बनाने के लिए एक बार एक पार्टी के सदस्यों की मुलाकात हुई ।
‘इस बार फिर से जीत कैसे मिले’ इसी मुद्दे पर बात हुई ।
दो बार से तो हम कैसे भी करके जीत गये हैं ।
लेकिन जितने भी हथकंडे थे, वो इस बार बीत गए हैं ।
अबकी बार जीतने के लिए कोई भारी भरकम रणनीति बनानी होगी ।
यहाँ बैठे सभी नेताओं को अपनी बुद्धि लगानी होगी ।
पार्टी अध्यक्ष ने सबको संबोधित किया ।
और अपने अपने विचार प्रस्तुत करने का इशारा दिया ।
एक सदस्य बोले – ‘अबकी बार जीतने के लिए एक कदम आगे बढ़ाना होगा ।
और आजकल देश में बेरोजगारी बहुत बढ़ गई है, बस उसी को हटाना होगा ।
अगर अबकी बार हम गरीबी और अशिक्षा पर करेंगे चोट ।
तभी हमें आज की जनता देगी वोट ।”
पार्टी अध्यक्ष ने कहा — ‘वैसे तो आपकी बात ठीक है ।
लेकिन वैसे ही हमारी बदौलत नौकरियों की हालत वीक है ।
रोजगार देने जाएंगे तो हमें होगा बहुत घाटा।
इससे अच्छा तो ये है कि जनता को गेंहूँ की बजाय बँटवा दो आटा।
बात रही अशिक्षा और गरीबी की, वो तो देश के लिए ज़रूरी है।
क्योंकि गरीबों के बिना अमीरों की सत्ता अधूरी है ।
और फिर अगर जनता गरीब बनी रहेगी, तो उसे हर बार झांसा देते रहेंगे ।
और उनके ‘अच्छे दिन’ लाने का वादा कर करके उनसे वोट लेते रहेंगे ।
तभी दूसरे सदस्य ने अपना मुँह खोला ।
और वो गंभीर अवस्था में बोला —
”इस बार अगर हम किसानों के लिए कुछ रणनीति बनाएंगे ।
तो हम अवश्य आगामी चुनाव जीत जाएंगे ।
मेरा तो ये मानना है कि इस बार कोई ऐसा कानून लाओ ।
जिससे किसानों को आत्महत्या करने से बचाओ ।”
पार्टी अध्यक्ष बोले — ”आपकी बात को मानने में वैसे तो कोई हर्ज़ नहीं है ।
लेकिन किसानों की समस्या कोई बहुत बड़ी मर्ज़ नहीं है ।
और वैसे भी अगर उद्योगपतियों के बिना सलाह मशविरा के किसानों को कुछ दिया,
तो वे नाराज हो जाएंगे ।
और अगर ऐसा हुआ, तो हम अपनी पार्टी के चंदा कहाँ से लाएँगे।”
बात पूरी हुई ही थी कि तभी एक सदस्य के दिमाग में विचार आया
और उन्होंने बिना देर किए, वो विचार सबको सुनाया —
”आजकल देश की जनता महँगाई से त्रस्त है ।
और तीसरी बार जीत दिलाने का ये सबसे अचूक अस्त्र है ।
चुनाव से पहले सब चीजों की कीमत घटा देंगे
और चुनाव के बाद फ़िर से उनकी कीमत बढ़ा देंगे।”
पार्टी अध्यक्ष ने कहा — ‘चलो इस बात थोड़ा ध्यान जरूर देंगे ।
लेकिन इससे हमें बहुत अच्छे वोट नहीं मिलेंगे ।
क्योंकि जनता हमारी इस चापलूसी को जानती है ।
और हमारे महँगाई कम करने वाले वादों को झूठा ही मानती है ।”
तभी एक अनुभवी सदस्य ने गला साफ़ करके एक नया उपाय सुझाया ।
और इस बार के चुनाव जीतने के लिए एक अलग ही प्लान बताया ।
उन्होंने कहा — ” हमारा कुर्ता तो कीचड़ में सन ही गया है ।
और आजकल हमारे खिलाफ़ कुछ माहौल बन ही गया है ।
लेकिन हम अबकी बार कीचड में बड़े बड़े पत्थर डालते हैं ।
और जो भी हमारे विरोध में खड़ा होगा, उसके ऊपर कीचड उछालते हैं ।
इससे ये होगा कि कीचड़ से गंदे हुए उनके कपडों के सामने हमारा कुर्ता साफ लगेगा ।
उनके ऊपर जाँच बिठवा देंगे, जो हमारे खिलाफ़ लगेगा ।”
पार्टी अध्यक्ष ने बड़े खुश होकर कहा कि चलिए आपकी बात हमने कर ली है नोट ।
इससे तो फ़िर हमें ही मिलेंगे वोट ।
लेकिन अभी थोड़ा सा और दिमाग लगाओ ।
‘जनता के लिए हम ही जरूरी हैं ‘ ऐसा विश्वास दिलाओ।
तभी एक धार्मिक सदस्य बोले उठे , ये तो बायें हाथ का खेल है ।
और मेरी इस तरकीब के आगे सभी तरकीबें फेल हैं ।
लोगों को आपस में एक दूसरे धर्म से खतरा दिखाओ ।
और सबके अंदर धार्मिक और जातिगत कट्टरता लाओ ।
लोग एक दूसरे से डर से हमें ही लाएँगे ।
और इस तरह से हम आने वाला चुनाव जीत जाएंगे ।।
पार्टी अध्यक्ष ने इस बात पर भी मोहर लगाई
और सबको एक बात समझाई ।
इस बार का चुनाव लोकतंत्र का आखिरी चुनाव होगा।
इसके बाद आपको परेशान नहीं होना पड़ेगा ।
हमें चुनाव कैसे जीतना है
इसका प्रेशर अपने ऊपर नहीं ढोना पड़ेगा।
क्योंकि इस बार सारा देश हमारे साथ में होगा
और अगली बार तो ऐसी नीति बना देंगे, कि सब कुछ हमारे हाथ में होगा ।
अध्यक्ष ने कहा कि अब आप जाकर जीत का जश्न मनाइये
और झुग्गी झोपड़ियों को जलाकर होली मनाईए।
हमारी इन नीतियों में भोली भाली और मूर्ख जनता तो फँस ही जायेगी ।
और वो हमारे इस दलदल में धँस ही जायेगी ।
इसके बाद सभी सदस्यों ने जीत का अग्रिम जश्न मनाया ।
और फ़िर सबने ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा लगाया ।।
— सूर्या