आखें
आखों का क्या है साहब
इसकी बहुत कहानी है।
कोई कहता दिवानी
कोई कहता मस्तानी है।
कोई कहता तेरी आखो मे डुब गया
जैसे उसमें समुन्दर की गहराई है।
कोई कहता मेरी आखो से गिर गये तुम
जैसे आखो कि बहुत उचाई है।
आखों का क्या है साहब
इसकी बहुत कहानी है।
कही मतलबी तो, कहीं प्यार भरी
कही सब बया कर देने वाली, तो कहीं ठग देने वाली।।
आखों का क्या है साहब
इसकी बहुत कहानी है।
कोई कहता दिवानी
कोई कहता मस्तानी है।।