आखिर क्यों ??
महाभारत की जंग छिड़ी ,
दो परिवारों का मसला था।
आपसी रंजिश और अधर्म ,
की वजह से नरसंहार हुआ था।
इस युद्ध में हजारों की संख्या में ,
पशुओं की बलि थी चढ़ाई गई ।
वो घोड़े और हाथी बेचारे !
उनसे कुर्बानी क्यों मांगी गई ?
क्या उन बेजुबानों का कोई ,
सरोकार था राज परिवार से ।
ना वो धर्म के साथ ,ना अधर्म के साथ ,
वो तो यूं ही शामिल थे निर्विकार से।
गुरु द्रोण को छल से मारने हेतु ,
अश्वत्थामा नामक हाथी को मारा ।
बेचारे हाथी के साथ स्वयं छल हुआ,
पांडवों ने उसे प्रेम पूर्वक मारा ।
उससे क्षमा याचना कर और आश्वासन दिया ,
उसका इतिहास में नाम अमर होगा ,
वीरों की सूची में शामिल होने को ,
उसे वीर गति प्राप्त करना होगा ।
अधर्म तो अश्वत्थामा हाथी के साथ हुआ,
जो अकारण उसका जीवन छीन लिया गया ।
सारी उम्र उनके प्रति निष्ठा निभाता रहा,
उसे उसकी स्वामिभक्ति का यह इनाम दिया गया।
जाने क्यों मनुष्य अलग अलग कारणों से ,
इन बेजुबानों से जीने का हक छिनता है।
ऐसा कई ज़मानों से होता आया है ,
ये मनुष्य हमें जीवों में कहां गिनता है।
कभी बलिदान के नाम पर ,
कभी शिकार के नाम पर ,
और कभी यूं ही शौकिया तौर पर ,
हमारा खून बहाया जाता रहा है ,
और अब भी बह रहा है ,
किसी न किसी बहाने से।
अजीब इंसानों का धर्म है ?
और जघन्य अपराध अधर्म में शामिल है ,
मगर हम बेजुबानों का खून बहाना अधर्म नही है !
आखिर क्यों ?