आखिर क्यों होता है कैंसर
आखिर क्यों होता है कैंसर
इस सवाल का जवाब पाने के लिए पहले हमें समझना होगा कि कैंसर है क्या? असल में कैंसर, इंसान के विकास की क़ुदरती प्रक्रिया का नतीजा है.जब कोई जीन किसी वजह से ये ज़िम्मेदारी नहीं निभा पाता तो कोशिकाओं के विभाजन की प्रक्रिया आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है अर्थात जो व्यक्ति तनावग्रस्त है कैंसर का शिकार वही होता है।सालो से अध्ययन और डॉक्टर्स,वैज्ञानिक ने भी अपना परामर्श दिया है कैंसर तनाव से उत्पन्न होता है न की खाने पीने से। आज मैं आपको वास्तविक कहानी बताने जा रही हु
एक लड़की है। मैं उससे नहीं मिली हूं। वो दिल्ली के एक अस्पताल में कैंसर के चौथे चरण से गुजर रही है। लड़की मेरी कहानियां फोन पर पढ़ती है। कहीं से उसने मेरा ईमेल तलाशा और मेरे पास संदेश भेजा कि वो मुझसे मिलना चाहती है।
क्यों?
उससे ये पूछा नहीं, बस मन में उठा ये सवाल था। उसने मुझसे फोन पर बात की और कहा कि डॉक्टर कह रहे हैं कि अधिक समय नहीं। पर मेरी इच्छा है, एक बार आपसे मिलने की।
मैं उससे मिलने जाऊंगी। मैं उसे बताऊंगी कि वो ठीक हो जाएगी।
कैसे? लेकिन पहले आपको ये बताना ज़रूरी है कि लड़की को ये बीमारी हुई कैसे?
हांलाकि अभी जो मैं कहने जा रही हूं उसका वैज्ञानिक आधार अभी भले पेश न कर पाऊं, लेकिन एक दिन विज्ञान इस सच को बतौर सबूत सामने रख देगा कि जिस इंसान ने यह बताया है कहानी द्वारा जो कहा था, वो सही है।
आपको कहानी के थोड़ा पीछे ले चलती हूं। लड़की पढ़ी-लिखी है, नौकरी में थी। कुछ साल पहले उसकी शादी हुई थी और सब कुछ ठीक चल रहा था। पति मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर पोजिशन पर था। लेकिन एक दिन अचानक उसे हृदयघात हुआ और वो इस संसार से चला गया। लड़की का दिल टूट गया। लड़की समझ नहीं पाई कि ये कैसे हुआ? क्यों हुआ?
हृदयघात के कई कारण हो सकते हैं। वंश से लेकर मन में दंश तक। मुमकिन है काम का दबाव, ऑफिस का टार्गेट उसे मानसिक तनाव देते हों। मुझे नहीं मालूम। पर मुझे ये मालूम है कि इन दिनों की जीवन शैली में तनाव आदमी की ज़िंदगी का हिस्सा हो गया है। मैंने एक डॉक्टर से पूछा था कि तनाव से असल में क्या होता है?
डॉक्टर ने बताया था कि तनाव से धमनियों में कोलेस्ट्रोल जमा होता है। इससे हृदयघात हो सकता है।
पर तनाव से कोलेस्ट्रोल क्यों?
डॉक्टर ने कहा था कि आदमी का मस्तिष्क मूल रूप से तकलीफ नहीं सहने के लिए बना है। शरीर तकलीफ सह सकता है, लेकिन मस्तिष्क नहीं। इसलिए जब किसी को बहुत तनाव होता है तो मस्तिष्क एक रसायन का रिसाव करता है, जिससे उसे शांति मिलती है। ये वही रसायन है जो लोगों को सिगरेट पीने से मिलता है। इसीलिए कहा जाता है कि सिगरेट से कोलेस्ट्रोल बढ़ता है।
तनाव अधिक होने पर मस्तिष्क अधिक उस रसायन का रिसाव करता है। इसीलिए कहा जाता है कि बहुत दुख देने वाली ख़बर सीधे-सीधे नहीं दे दी जानी चाहिए। कई बार आदमी का दिल उसे सह नहीं पाता।
उस लड़की के पति का निधन हृदयघात से हो गया। लड़की की समझ में ही नहीं आया कि क्या हुआ? वो रो भी नहीं पाई। उसे सदमा लगा, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। साल बीता। लड़की बीमार हो गई।
मैं बहुत विस्तार में नहीं जाना चाहती पर इतना बताना है कि लड़की के घर वालों ने डॉक्टर से पूछा कि इसने न कभी खराब खाना खाया, न कोई व्यसन है, फिर कैंसर क्यों?
डॉक्टर भी हैरान थे। कोई जवाब नहीं सूझने पर डॉक्टर कह देते हैं कि सब कुछ ऊपर वाले की मर्ज़ी है।
लड़की भी जानना चाहती थी कि इस बीमारी की वजह क्या है?
कहीं कोई जवाब नहीं मिला। एक दिन अस्पताल के एक छोटे-से कर्मचारी ने कहा कि उसने देखा है कि जो लोग बहुत तनाव या दुख में होते हैं, उन्हें ये बीमारी हो जाती है। उस छोटे से कर्मचारी ने अस्पताल में मरीज़ों से बातचीत के आधार पर अपना निष्कर्ष निकाला होगा।
मैंने जब ये बात सुनी तो ठीक से इसे समझने की कोशिश की।
मेरी एक परिचित को बहुत साल पहले टीबी हो गया था। मेरी परिचित के रिश्ते अपने पति से अच्छे नहीं थे। वो बहुत दुखी रहती थीं। एक दिन उन्हें टीबी हो गया और वो मर गईं।
मैंने बहुत पता किया तो पता चला कि टीबी चिंता रोग ही है। आज उस महान व्यक्ति को कहना है कि कैंसर भी एक हद तक चिंता और अवसाद की कोख से निकला रोग है। मूल रूप से ये तनाव ही है।
मैंने कैंसर पर बहुत रिसर्च किया डॉक्टर नहीं हु लेकिन मन में हमेशा रहा कि काश मैं कैंसर ग्रस्त लोगो को बचा पाती। इस पर बहुत बार बहुत कुछ कह चुकी हूं और आज इसमें जाने का मतलब विषयांतर होना होगा।
फिलहाल तो लड़की ने मुझसे मिलने की इच्छा जताई है। मुझे विश्वास है कि वो ठीक हो जाएगी।
कैसे?
आदमी के शरीर में जो रक्त बहता है, उसमें एक अंश आशा का भी होता है। और जिनके भीतर आशा का अंश होता है, उनकी हर बीमारी दूर हो जाती है। कई साल बाद डॉक्टर आशा का कोई वैज्ञानिक नाम आपको बता देंगे। अभी तो लड़की ने मुझसे मिलने की इच्छा जताई है। मतलब उसके भीतर आशा का अंश है। जिसके भीतर आशा का अंश होता है उसमें तो हर बीमारी लड़ने का दम आ जाता है।
क्या वो महान व्यक्ति मिलेगा उस लड़की से।पूरी कहानी फिर सुनाऊंगी अभी तो इतना ही कहना है कि अपने मन में रत्ती भर तनाव को पांव मत पसारने दीजिए और अपने मन से आशा के अंश को कभी मिटने मत दीजिए।
हर सुख और हर दुख आपके जीवन से छोटा है। कौन कितने दिन इस संसार में रहने के लिए आया है किसी को नहीं पता। जीवन छोटा हो या लंबा सुखद और सुंदर होना चाहिए।
महानुभव का ज्ञान- सुंदर और सुखद दोनों मन के भीतर प्रस्फुटित होने वाले भाव हैं। इनकी तलाश बाहर कितनी भी करेंगे, ये नहीं मिलेंगे।
आशा को बचाए रखिए, निराशा को मिटा दीजिए। ज़िंदगी है तो सिर पर आसमान भी होगा ही।अगर आप तनावग्रस्त हो तो शेयर करे अपनो से।कैंसर जैसी बीमारी से बचे
कैंसर तो लाइलाज मर्ज है
और इस दर्द पर लिखना है मुझे
पर पूरे विश्वास से कहती हूँ
मैं लिखूंगी उस सब पर
जो भले मैंने नहीं सहा
नहीं गुजरी उस पीड़ा से
पर मैंने देखा है
मेरे अपने के दर्द को
बहुत अच्छे थे उसके केश
उसके दुःख की तरह काले
फिर एक दिन कीमोथेरेपी ने
उतरवा लिए उसके केश
मैंने देखा है उसकी तड़प को
थोड़ा थोड़ा रोज
मौत के नजदीक जाते हुए
उसकी चीख़ों में कुछ ऐसा था
कि खोखले होने लगे मेरे हाथ, मेरे पाँव
हड्डियों की सुरंगों में
गूँजती रही उसकी चीख़ें
और एक रात खूनी पंजों ने
आखिर उसे दबोच लिया
वह रात जब भी ख्यालों में आती है
दबोच ले जाती है मेरी नींद
बकवास है सारी धारणाएं
पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है
चाहे बस्तियां हो या हस्तियां
कैंसर से कौन बच पाया है ।।
दीपाली कालरा