Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2019 · 1 min read

#आखिर कौन??

मुझपे अपना हक जताना,
रगड़ हाथों को सर्द गालों की हटाना,
हाथ अपने से खिलाना,
कौन करेगा?
मेरी इच्छा की करना,
आप अपने को भूल जाना,
ज़िद तनिक भी न दिखाना,
कौन करेगा?
पागल उसे बोले जमाना,
अच्छा समझ होकर पागल कहाना,
आखिर कौन करेगा??
..✍️.मनोज

Language: Hindi
1 Like · 294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुझे देंगे धरती मां बलिदान अपना
तुझे देंगे धरती मां बलिदान अपना
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
शक्ति
शक्ति
Mamta Rani
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
*'नए क्षितिज' का दोहा विशेषांक*
*'नए क्षितिज' का दोहा विशेषांक*
Ravi Prakash
मैं औपचारिक हूं,वास्तविकता नहीं हूं
मैं औपचारिक हूं,वास्तविकता नहीं हूं
Keshav kishor Kumar
शिगाफ़ तो भरे नहीं, लिहाफ़ चढ़  गया मगर
शिगाफ़ तो भरे नहीं, लिहाफ़ चढ़ गया मगर
Shweta Soni
यदि कोई व्यक्ति कोयला के खदान में घुसे एवं बिना कुछ छुए वापस
यदि कोई व्यक्ति कोयला के खदान में घुसे एवं बिना कुछ छुए वापस
Dr.Deepak Kumar
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
Neeraj Agarwal
दीवाली विशेष कविता
दीवाली विशेष कविता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
इंतजार
इंतजार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
टिक टिक टिक
टिक टिक टिक
Ghanshyam Poddar
घर
घर
Ranjeet kumar patre
"बराबरी का सफर"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी औकात
मेरी औकात
साहित्य गौरव
भाग्य प्रबल हो जायेगा
भाग्य प्रबल हो जायेगा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अब नहीं पाना तुम्हें
अब नहीं पाना तुम्हें
Saraswati Bajpai
!! पर्यावरणीय पहल !!
!! पर्यावरणीय पहल !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
जरूरत और जरूरी में फर्क है,
जरूरत और जरूरी में फर्क है,
Kanchan Alok Malu
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
Basant Bhagawan Roy
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
संसार का स्वरूप
संसार का स्वरूप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मत रो मां
मत रो मां
Shekhar Chandra Mitra
चोट दिल  पर ही खाई है
चोट दिल पर ही खाई है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*माँ शारदे वन्दना
*माँ शारदे वन्दना
संजय कुमार संजू
बाल दिवस
बाल दिवस
Dr Archana Gupta
तुम धूप में होंगी , मैं छाव बनूंगा !
तुम धूप में होंगी , मैं छाव बनूंगा !
The_dk_poetry
3978.💐 *पूर्णिका* 💐
3978.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पिछले पन्ने भाग 1
पिछले पन्ने भाग 1
Paras Nath Jha
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सज धज के आज वो दीवाली मनाएगी
सज धज के आज वो दीवाली मनाएगी
इशरत हिदायत ख़ान
Loading...