आखिर कब तक ?
मानवता को शर्मसार करने वाली बेहद जघन्य और शर्मनाक घटना चार मई को मणिपुर में घटी, दुःखद घटना का वीडियो जब वायरल हुआ तो देश-विदेश में भूचाल सा आ गया, मानवता को शर्मसार करने वाली बेहद जघन्य और विभत्स ओर शर्मनाक घटना जिसमे महिलाओं को निर्वस्त्र कर भीड़ द्वारा दौड़ाया गया और उनके अंगों को भीड़ में शामिल लोगों ने छू छूकर कर नोच नोच कर हैवानियत की सारी हदे पार कर दी उन पीड़ित महिलाओं की मनोदशा क्या होगी हम और आप उस पीड़ा और अपमान का अनुमान भी नहीं लगा सकते , अपने ही देश में ही अपने ही लोगों द्वारा ये धिनौना काम किया गया ,अफसोस! उस परवरिश पर जिसने ऐसे धिनौने,बेएहसास लोगो को ऐसे संस्कार दिए जो एक नारी से ही पैदा होकर दूसरी नारी के साथ हैवानियत की हर सीमा को लांध गये ,ऐसे लोग इंसान कहलाने के योग्य तो बिल्कुल भी नहीं,और हम कैसे उस समाज को सभ्य कह सकते हैं जहां नारी के प्रति ऐसी मानसिकता रखने वालों का जहां कोई आभाव नहीं , कैसी विडम्बना है कि किसी को अपने अपमान का बदला लेना है तो नारी ,किसी को नीचा दिखाना है तो नारी, किसी को उसकी ही नज़र में गिराना है तो नारी , नारी ही को सबसे सुलभ माध्यम बना लिया है किसी के प्रतिशोध को शांत करने का, किसी को नीचा दिखाने के लिए किसी से बदला लेने की लिए कोई क्या इस हद तक गिर सकता है सोच कर हैरत होती है , वायरल वीडियो में एक दो लोग नहीं बल्कि लोगो की अच्छी खासी भीड़ थी और अफसोस की उस भीड़ में कोई भी इंसान नहीं था सब हैवान थे, अगर उस भीड़ में एक इंसान होता तो ऐसी दु:खद घटना कभी हमारे समक्ष आती , कभी नहीं आती ,धिक्कार है ऐसी व्यवस्था पर जो नारी सुरक्षा के बड़े बड़े दावे तो करती है लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही है, मणिपुर की घटना देश की एक मात्र घटना नही है. इससे पहले भी ऐसी विभत्स घटनाएं हमारे देश में घटती रही है और आगे भी घटती रहें तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी, कानून कितने भी बन जाए अपराधी अपराध करके सरलता से बचते रहें हैं और आगे भी बचते रहेंगे, स्पष्ट है कि हमारी कानून व्यवस्था अत्यधिक लचर है, लचर होने का ही परिणाम है कि हमारा देश नारी के विरूद्ध होने वाली सर्वाधिक अपराधिक घटनाओं में दुनिया के देशों में से एक है यह वास्तविकता हमारी कानून व्यवस्था पर ही नहीं हमारे सभ्य समाज के मुंह पर भी तमांचा है , आज नारी कितनी सुरक्षित है बताने की आवश्यकता नहीं घरेलू हिंसा, गैंगरेप, यौन शोषण जैसे असंख्य अपराधिक घटनाएं है जो कि आम है समाज का भय व बदनामी के डर के कारण नारी के प्रति होने वाले अपराधिक घटनाओं के वास्तविक आंकड़े कभी हमारे समक्ष आ ही नहीं पाते. बहुत कम अपराध ही रिपोर्टेड होते है वरना अधिकतर परिवार की प्रतिष्ठा और सामाजिक बदनामी के भय से अनरिपोर्टेड ही रह जाते हैं , ऐसी दु:खद घटनाएं हमारे समक्ष कभी न आये , इसके लिए कानून को पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्यो का पालन करना होगा और ऐसी सज़ा का उदाहरण प्रस्तुत करना होगा कि कोई भी अपराधी ऐसी ख़ौफ़नाक घटना को अंजाम देने से पहले एक बार नहीं सौ बार सोचे, सरकार से तो किसी प्रकार की उम्मीद रखना ही व्यर्थ है कब से वो अपनी आंखों पर पट्टी बांधे हुए है, कितने समय से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है क्या उसे खबर नहीं केवल एक वीडियो वायरल होने पर विचलित हो जाना ,ये सब दिखावा नहीं तो क्या है अगर इतनी संवेदना होती और अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास होता तो क्या संभव था जो मणिपुर इतने समय से हिंसा की आग में जल रहा है जल रहा होता ?
डाॅ फौज़िया नसीम शाद