आखिर कब तक
#अब #हर #माँ #की #व्यथा—
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पार्वती आक्रोश से भरी हुई बरतनों पर अपना गुस्सा उतार रही थी।जोर जोर से अपशब्द और गालियाँ बकती हुई वो हांफ रही थी। गांव की एक मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी हुई थी ।हैवानों ने आठ साल की मासूम के साथ ऐसा घिनौना कृत्य किया कि वो प्राणों से हाथ धो बैठी।पार्वती अभी वहीं से आ रही थी और तभी से वो डरी सहमी घबराई हुई थी।उसने कमली को आवाज लगाई “कमलिया ओ कमलिया” ।कमली उसकी सात साल की बेटी है जो आँगन में खेल रही थी।हाँ माँ—कमली माँ के पास आकर बोली।पार्वती काफी देर उसको सीने से लगाए बैठी रही और रोती रही।माँ तू क्यों रो रही है “कमली” बोली। पार्वती ने खुद को सम्हाला और कमली को पास बिठाकर बोली ऐ बिटिया-सुनो अकेले बाहिर मत जाना ,किसी से कछु लैके मत खाना, किसी अजनबी से मत बतियाना,कोई अपना जान पहिचान का गंदे तरीके से छुए तो शौर मचा देना।जब भी बाहिर जाए तो जरा सा मिर्चि कपड़ा में छुपा लेना।जब भी कोई गंदी बात करे या बदन छुए उसकी आखन में मिर्चि डाल कर भाग जाना। ए बिटिया।पार्वती समझाए जा रही थी और कमली माँ को मासूम निगाहों से देखे जा रही थी।ए बिटिया ,समझ रही है ना ?माँ ने पूछा।कमली ने हाँ में गरदन हिलाई और माँ से लिपट गई।पार्वती ने कमली को जोर से भींच लिया।
आज शायद हर माँ की स्थिति पार्वती की तरह होगी जो ऐसी दुखद घटनाओं से काँप रही होंगी और अपनी मासूम बच्चियों को इस तरह की हैवानियत से बचाना चाहती होंगी।
क्या हर माँ को अपनी बच्ची को घर में कैद कर देना होगा?जिस मासूम को यौन अवस्था के बारे में ठीक से पता भी नहीं उन्हें यौन उत्पीड़न से बचाव की तालीम देनी होगी?अठखेलियाँ करती कच्ची उम्र में अपने अंगों को ढंकना सिखाना होगा?पिता भाई चाचा ताऊ किसी मर्द पर भरोसा ना करे ये बताना होगा।
दुखद ,आखिर कब तक ये अमानवीय कृत्य यूंही आए दिन होते रहेंगे।
आखिर कब रूकेंगें ये दिल दहलाते हादसे और नन्हीं कलियों को ये पिशाच कब तक मसलते रहेंगे।
अगर इन दरिंदों को मेरे सामने खड़ा कर दिया जाए और अधिकार दिया जाए तो मैं बिना सोचे इनका खतना कर दूँगी।