Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2019 · 1 min read

आखिर इतना गुस्सा क्यों ? (ग़ज़ल )

आज के इंसान में है आखिर इतना गुस्सा क्यों ?,
जो बन बैठा है अपनी ही ज़ात का दुश्मन यह क्यों ?

इंसान जैसा दिखता तो है मगर इंसान तो नहीं न ,
खुदगर्जी की हदें पार कर भुला बैठा है इंसानियत क्यों ?

रहमदिली ,फराखदिली ,मुहोबत ,कुर्बानी और नेकी,
कल तो थे ईमान इसके ,आज वोह बे ईमान क्यों ?

ज़रा-ज़रा सी कहा सुनी पर निकाल लेता है खंजर ,
नफरत की इतनी आग लिए दिल में घूमता है क्यों ?

गुस्से में आग-बबूला हो आँखों से भी अँधा हो जाता है,
नहीं रख पाता लोगों में उम्र का लिहाज़ भी जाने क्यों ?

यह गुस्सा नहीं है सिर्फ, है यह बेइंतेहा गुरुर इंसान का,
समझता है अपने आगे दुसरे इंसान को सिर्फ खिलौना क्यों ?

होश में कभी वोह आये गर तो उसे मालूम हो ,या शायद !!
उसके भीतर ज़मीर नाम की चीज़ थी ,मगर अब नहीं क्यों ?

कभी तो आएगी कयामत ,और खुदा लेगा इसका हिसाब ,
गुस्से में बेकाबू होकर किये कितने गुनाह ,कितने ज़ुल्म क्यों ?

शर्मिन्दा न होना पड़े ,खुदा के सामने ,इसीलिए तौबा कर ,
चल मुहोबत की राह पर ,चलता है तू नफरत की राह पर क्यों ?

1 Like · 333 Views
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

🌸प्रकृति 🌸
🌸प्रकृति 🌸
Mahima shukla
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
Manoj Mahato
बात पुरानी याद आई
बात पुरानी याद आई
नूरफातिमा खातून नूरी
জয় শিব শঙ্কর (শিবের গান)
জয় শিব শঙ্কর (শিবের গান)
Arghyadeep Chakraborty
नाम या काम
नाम या काम
Nitin Kulkarni
" मुस्कुराहट "
Dr. Kishan tandon kranti
हां मैं दोगला...!
हां मैं दोगला...!
भवेश
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
यादें
यादें
SATPAL CHAUHAN
भरोसा
भरोसा
ललकार भारद्वाज
शीर्षक -शीतल छाँव होती माँ !
शीर्षक -शीतल छाँव होती माँ !
Sushma Singh
खोज करो तुम मन के अंदर
खोज करो तुम मन के अंदर
Buddha Prakash
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
उसकी जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होती,
उसकी जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होती,
manjula chauhan
*मटकी तोड़ी कान्हा ने, माखन सब में बॅंटवाया (गीत)*
*मटकी तोड़ी कान्हा ने, माखन सब में बॅंटवाया (गीत)*
Ravi Prakash
राम नाम की गूंज से
राम नाम की गूंज से
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
औरत.....
औरत.....
sushil sarna
मेरा दिल भर आया बहुत सा
मेरा दिल भर आया बहुत सा
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हवस का सूरज।
हवस का सूरज।
Kumar Kalhans
महोब्बत करो तो सावले रंग से करना गुरु
महोब्बत करो तो सावले रंग से करना गुरु
शेखर सिंह
हे अजन्मा,तेरा कैसे जन्म होगा
हे अजन्मा,तेरा कैसे जन्म होगा
Keshav kishor Kumar
आत्माभिव्यक्ति
आत्माभिव्यक्ति
Anamika Tiwari 'annpurna '
विषय-मन मेरा बावरा।
विषय-मन मेरा बावरा।
Priya princess panwar
सि
सि
*प्रणय*
*तलाश*
*तलाश*
Vandna Thakur
दिल का मौसम
दिल का मौसम
Minal Aggarwal
“बनावटी बातें”
“बनावटी बातें”
ओसमणी साहू 'ओश'
मुक्तक -
मुक्तक -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
4607.*पूर्णिका*
4607.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...