आखिरी सहारा
आखिरी सहारा
डूबती कश्ती को मिलना किनारा चाहिए।
डूबते को अब तिनके का सहारा चाहिए।।
मुद्दतें बीत गई तेरे दीदार के लिए,
नयनों को तेरी नज़रों का नज़ारा चाहिए।
जान तुझ पर निसार पल भर में कर दूँ,
तेरी ओर से बस एक ही इशारा चाहिए।
कोई न मरे भूखा रोटी से न प्यार से,
दो वक्त की रोज़ी का होना गुज़ारा चाहिए।
नेक दिलों पर बरसे बरसात प्रेम की,
बुज़दिलों को मिलना जवाब करारा चाहिए।
रौशन कर दे जो दिलों को दो घड़ी के लिए,
टिमटिमाता हुआ एक ऐसा सितारा चाहिए।
हे खुदा! खता का पुतला तो है ही इनसान,
‘भारती’ को मिलना एक मौका दुबारा चाहिए।।
डूबती कश्ती को मिलना किनारा चाहिए।
डूबते को अब तिनके का सहारा चाहिए।।
सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)