” आखिरी अल्फाज़ “
सिद्धत थी कि ,
हर पन्ने पर अपना हर सफ़र लिख देंगे ,
सफ़र अधुरा और आदाश ही सिर्फ पुरी है ।
कभी हालात तो कभी वक्त ने साथ नहीं दिया ,
आज समझ में आया ऐ खुदा !
तेरे किताब में मेरी जिंदगी की कहानी ही अधुरी है ।
– ज्योति
नई दिल्ली