आखरी पाती
आज सिर्फ उनके लिए ही, यह गीत लिखूँगा,
आखरी पाती में भी उनको, मनमीत लिखूँगा।
जिनके फैसलो का मैं, मान रखता रहा सदा,
उस फैसलो से हुई हार को भी, जीत लिखूँगा।।
कल सुहानी शाम वो, कानो में रस घोल गयी,
खनकती आवाज में, अनजाने सा बोल गयी।
अब जो दूर हो जाने का, कर लिया था फैसला,
बेगाने तराज़ू से बेरहम, दिल मेरा तोल गयी।।
यह आज नही तो कल, यकीनन होना ही था,
दिल मे जले लौ को, तिमिर में खोना ही था।
किस्मत ने थपेड़ो के बीच, कुछ यादें सहेज ली,
जो तकदीर में नही उस लिए, क्यों रोना ही था।।
कल की काली अमावस, आज ही छट जाएगी,
मेरे हिस्से का प्यार तेरे, अपनो में बट जाएगी।
जा खुश रहे तू तुम्हारा, हर दिन दीपावली हो,
अपना क्या कट रहा था, आगे भी कट जाएगी।।
बस आखरी पाती ये मेरा, ले सहेज तू रख ले,
हम रहे न रहे कुछ यादें मेरी, ले शेष तू रख ले।
न कोई गिला न शिकवा, न ही शिकायत कोई,
बस दिल से लगा टूटे दिल के, अवशेष तू रख ले।।
अब तक मिला जो सहयोग वो, अतीत लिखूँगा,
संग बिताये हर पल सुरमई सी, संगीत लिखूँगा।
करना क्षमा वो मेरी घृष्टता, ये भूल चूक मेरी,
अब आखरी शब्द अलविदा, ऐ मेरे प्रीत लिखूँगा।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १३/११/२०२०)