आखरी दिन की कल्पना….!!
आखरी दिन…
एक दिन ऐसा होगा जो, हमारी जिदंगी का आखरी दिन होगा,
हम नहीं रहे ऐसा एहेसास हर जगह होगा,
हवा पानी और अन्न की फर्ज पूरी हुई होगी,
माँ धरा का बोझ कम करने की हमको तक मिली होगी,
हमारा ही ऐ प्रसगं होगा, और उसमे हमारी ही कमी होगी,
कैसा समय और कैसे संजोग का मेल बना होगा,
वातावरण में गमगीनी और उदासी छाई होगी,
चारोतरफ मातम और नैनो में चाहत छलकती होगी,
हमारे अपनों के आंखोमे अश्रुधारा निरंतर बहती होगी
या फिर आखियों का पानी सूख गया होगा,
शायद हमारी आखें आत्मस्वरूप ऐ सब निरखती होगी,
फिर भी उनको सांत्वना देने के, अस्तित्व की खामी होगी,
शब्दों के रचनावाले वाक्यों की कोई कमी नहीं होगी,
पर शब्दों की असर और वाक्यरचना, समझ के बहार होगी,
किस – किस का दर्द और कल्पांत होगा,
समय की कमी और बिछड़ने का गम होगा,
क्या पता दिन होगा के रात्री आखरी,
ये तो हुए हमारी कल्पनाओंमें खात्री……………!!!!!