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1 Dec 2024 · 1 min read

आकाश में

गीतिका
~~~~
आकाश में उड़ें हैं पंछी तरह तरह के।
बिन भेदभावना से देखो सभी जगह के।

जब छा रहे सघन घन देखो सभी दिशा में।
अब क्या करें दिवस ही कटते नही विरह के।

दिन प्यार के सुहाने बिल्कुल नहीं भुलाना।
किस्से बना न करते हर बार बिन वजह के।

जब जम रहे सरोवर हिमपात हो रहा है।
हैं दृश्य खूबसूरत पिघली हुई सतह के।

जो टूटने न पाए हो तालमेल हरपल।
जब स्वप्न देखने हो हर बार प्रिय फतह के।
~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 29 Views
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