आकाश नीला है
***आकाश नीला है***
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सारा आकाश नीला है,
पर सूरज पाक पीला है।
धरती की सांस प्यासी है,
बादल का ढंग ढीला है।
ग़म से गमगीन लगती है।
गौरी का गाल गीला है।
मन को भाती मधुर बातें,
बातों का रस रसीला है।
मनसीरत राह में राही,
थोड़ा बस दूर टीला है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)