आकांक्षाएं
आकांक्षा मन मे रहे सदा कुछ अच्छा कर जाना।
कैसी भी हो परिस्थितियों से कभी विचलित न होना।
शुभ कर्मों के राह में चल सदा सुंदर पुष्प खिलाना।
विचलित करेंगी बढ़ने पर, अच्छाई मे कुछ बाधाएं।
पर सच्चा मार्ग छोड़ों न कभी, शुभ रहें सदा ही इच्छाएं।
आकांक्षा ऐसी न करो जो मानवता से तुम्हे गिराएं।
आकांक्षाएं रहे ऊंची जो अच्छा मानव तुम्हे बनाएं।
आकांक्षाएं रहे ऐसी जो मार्ग प्रशस्त करें सभी का,
आकांक्षाएं न ऐसी करना कभी दूजे को कष्ट पहुंचाएं।
सतत प्रवाह में बहती रहती है जीवन की यह धारा,
आकांक्षाओं से ही मानव ने अपना जीवन सदा संवारा।
चलते रहे सभी दुनिया में अपनी आकांक्षाओं को सजाकर।
सफल हुए केवल अपने निश्चय को सतत दृढ़ बनाकर।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश