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18 Oct 2022 · 1 min read

आकर

निखरने लगा हूँ मैं उनसे नजरें मिला कर
करता हूँ बातें अब तो सबसे मुस्कुरा कर।
हो गया यकीन उस वक़्त खुदा पे मुझको
जब किया इकरार उसने आँखें झुका कर।
गुजर तो रही थी ज़िंदगी गुमनाम बेसबब
कर दिया मशहूर उसने अपना बना कर ।
चांद,तारे,फूल,तितलियाँ,सुबह और शाम भी
मिलतें हैं शबो-रोज़ मुझसे खिलखिला कर ।
सादगी है,सुकून है सहूलियत के साथ-साथ
ख्वाब भी खुश हैं आजकल नींद में आकर।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
1 Like · 144 Views

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