आओ हे मधुमास
आओ हे मधुमास,
नया उल्लास भरो फिर, कण- कण में….
आओ हे मधुमास,
नया अहसास भरो फिर, कण-कण में…
अभिसिंचित फिर करो, सृष्टि को, नव ऊर्जा से,
दे दो आज छितिज को, फिर से नई चेतना,
आओ हे मधुमास,
नया विश्वास भरो फिर, कण-कण मे…
आओ हे मधुमास,
नया अहसास भरो फिर, कण- कण में….
आलोकित हो पुनः भारती, ज्ञान – दीप से,
सूर्य उगे फिर, शांति, प्रेम, आरोग्य, प्रगति का,
आओ हे मधुमास,
नया अभिलाष भरो फिर, कण-कण में…
आओ हे मधुमास,
नया अहसास भरो फिर, कण- कण में….।।
(स्वरचित – मौलिक – सर्वाधिकार सुरक्षित)
विजय प्रताप शाही
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
9925025901 – 6388236360