आओ हिन्द वासियों तुमकों चूड़ियां उपहार दे दूँ
कासगंज में चन्दन गुप्ता की तिरंगा या भगवा यात्रा जो भी थी उसके बाद जो हुए वो एक कलंक है तो मेरी अशोक कुमार सपड़ा की यह कविता हमारे कायरता पूर्ण कार्यो के लिए है जिसकी वज़ह से चंदन गुप्ता को शहीद होना पड़ा
आओ हिन्दवासीयों आओ तुमकों चुड़िया उपहार दे दूँ
बहुत हुई नामर्दी तुम्हारी तुमकों गांडीव की टंकार दे दूँ
यह जो तुम पाकिस्तान के दीवाने भारत मे पाल रहें हो
आवाम के जहन में जहर घोलने वालो के मैं दीदार दे दूँ
जहर उगलते इन विषधरों के दाँत अब तोड़ डालों तुम
पीठ में छुरा घोपने वालों से बचो ये ख़बर तुम्हे यार दे दूँ
खबरदार ये संपोले गाला आधी रात को भी चीर डालेंगे
तुम्हारे बाजूओं में जंग लगी है आओ थोड़ी मैं धार दे दूँ
एक चन्दन गुप्ता खोया तुमने तिरंगे के सम्मान यात्रा में
उसको श्रद्धांजलि होगी ,गर कविता में तुम्हें पुकार दे दूँ
कश्मीर खोया अपने हिंदुत्ववादी व्यवहार से तुमने यारोँ
पाकिस्तान के बैठे कठमुल्ले,जो उन्हें युद्ध का ज्वार दे दूँ
कितनी कुर्बानीयां और देकर तुम भारतवासीयों जागोगे
आपस मे लड़ना छोड़ो तो लड़ने को मैं देश तैयार दे दूँ
तेरी याद में आँखें पुरनम है ऐ मेरे मासूम दोस्त पंकज
मेरा बस चले तो श्रद्धांजलि में कासगंज का नरसंहार दे दूँ
कभी कैराना कभी कश्मीर कभी हैदराबाद कभी बंगाल
महज कुर्सी के रखवालों तुम्हारे हाथ में चुड़िया हजार दे दूँ
बहुत हुई अशोक नामर्दनगी कब तक हमदर्दी दिखायेगा
वन्दे मातरम जय हिंद के नारे क़लम बना को तलवार दे दूँ
अशोक सपड़ा हमदर्द की क़लम से दिल्ली से