आज जब वाद सब सुलझने लगे...
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
हम जिसे प्यार करते हैं उसे शाप नहीं दे सकते
हर-सम्त देखा तो ख़ुद को बहुत अकेला पाया,
मन के सवालों का जवाब नाही
वो अपने बंधन खुद तय करता है
भारत की होगी दुनिया में, फिर से जय जय कार
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
*अभिनंदन सौ बार है, तुलसी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
क्यों हादसों से खौफज़दा हो