‘आओ हम बिछड़ जाएं’
‘आओ हम बिछुड़ जाएं’
आओ हम बिछड़ जाएं,
फिर पास कभी न आएं।
कभी मिले थे हम-तुम,
चलो ये भी भूल जाएं।
न तो है तेरी ख़ता,
न मेरा ही कुसूर है।
मिलने के बाद बिछुड़ना ही
मोहब्बत का दस्तूर है।
ये दस्तूर निभा जाएं,
आओ हम बिछड़ जाएं।
रहें चाहे जिस भी शहर,
रखेंगे याद शाम-ओ-सहर।
आकर ख्वाब में एक दूजे के,
दिल के फूल खिला जाएं।
आओ हम बिछड़ जाएं।
मोहब्बत की सुहानी सी ये वादियां,
जहाँ गूँजी थी कभी शहनाइयां।
यहीं मिलती थी परछाइयां,
और घुल जाती थी तनहाइयाँ।
आज इस दौलत को हम,
एक दूसरे पर लुटा जाएं।
आओ हम बिछड़ जाएं।