आओ हम दशहरा मनाये
आओ हम दशहरा मनाये।
सत्य का फिर धनुष चढ़ाये।
अनाचार कृत्य, शीशो पर,
सदाचार का बाण चलाये।। आओ हम दशहरा मनाये-
शक्तियों का दम्भ जो भरते,
भोगो से जो मनुजता हरते।
उस पर विजय प्रत्यंचा चढ़ाये,
अंहकार का पृष्ठ मिटाये।। आओ हम दशहरा मनाये-
पथभ्रष्टक बने पथ वाहक,
चाटुकार बने जब सहायक।
मन्त्र न विभीषण के भाये,
मुखोटे उनके नकली हटाये।।आओ हम दशहरा मनाये-
भूल जाये जब त्याग साधना,
शोषित हो जन मन आराधना।
आओ फिर रावण हराये,
लखन, प्रभु श्री राम बुलाये।।आओ हम दशहरा मनाये-
(रचनाकार- डॉ शिव ‘लहरी’)