आओ रक्षा पर्व मनाएं ___ कविता
मै भाई तू मेरी बहना,
हम दोनों का अमर ये बन्धन।
आओ रक्षा पर्व मनाएं
छोड़ के सारी ही उलझन।।
तात – मात है एक हमारे,
हम उनकी आंखो के तारे।
संस्कार जो उनसे पाए,
लगते हमको प्यारे – प्यारे।
होगी कभी न अपनी अनबन।
आओ रक्षा पर्व मनाएं,
छोड़ के सारी ही उलझन।।
पूरे साल में एक यही तो ,
पर्व यह अपना आता है।
हर दिन कैसा नाता रखना,
हमको यही सिखाता है।।
खुशियों से ही हम तो बिताएं,
अपना यह सारा जीवन।
आओ रक्षा पर्व मनाएं,
छोड़ के सारी ही उलझन।।
राजेश व्यास अनुनय