“आओ योग करें”
आओ सब मिलके योग करें,
अपने मन से दूर’ कुरोग करें|
यदि स्वास्थ्य सभी का अच्छा है,
फिर समझो सब’-कुछ अच्छा है|
करता जो प्रतिदिन ‘योग’ है,
समझो वह रोगों से मुक्त है|
करना ज़्यादा है कुछ भी नहीं,
बस सांसो’ को भरना-छौडना है|
भ्रामकी व भस्त्रिका करना,
करें शुचि अनुलोम विलोम|
हो जाए सुन्दर कपाल की भाती,
खिल उठे सबका रोम ही रोम|
चर्म अस्थियों’ का यह तन है,
सुन्दर करता जिसको मन है|
जो मिला हम सभी को ईश्वर’ से,
सब मिलके इसका उपयोग करें|
आओ सब मिलके योग करें,
अपने मन से दूर’ कुरोग करें|
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✍ धीरेन्द्र वर्मा
जिला-खीरी (उ०प्र०)