आओ मिलकर साथ चले हम
दिनांक …..30/6 /2021
………. गीत………
आओ मिलकर साथ चले हम
सपने मिलकर साथ बुने हम
मंजिल के सब कंकर – कांटे
मिलकर सारे साफ करें हम
आओ मिलकर साथ ……..
चलो अकेले थक जाओगे
बीच राह में रुक जाओगे
इधर-उधर को मुड़ जाओगे
क्यूं ना फिर एक साथ चलें हम
आओ मिलकर साथ ………..
बाधा मिलकर ही हारेगीं
मंजिल भी बाहें थामेंगी
खुशियों के मेले संग होंगे
फिर क्यों ना एक साथ चलें हम
आओ मिलकर साथ……….
सफ़र अकेले कैसे काटें
दुःख- सुख अपने कैसे बांटे
हर गम हम से डर जाएंगा
हाथ में लेकर हाथ चले हम
आओ मिलकर साथ…………
ऊंच-नीच के भेद मिटा दो
प्यार के गुलशन को महका दो
रहे ना कोई भेद पुराना
ऐसा नया इतिहास रचे हम
आओ मिलकर साथ ………
एक साथ परिवार सजे हैं
ताकत सबको खूब जचे हैं
मिलकर जो चलते हैं हरदम
छू नहीं पाते हैं उनको गम
आओ मिलकर साथ ……….
बाधा सारी पार करेंगे
हम नया इतिहास लिखेंगे
“सागर” हाथ ना कोई छूटे
ऐसी खाए कसम आज हम
आओ मिलकर साथ चले हम।
सपने मिलकर साथ बुने हम।।
============
मूल रचनाकार …….
जनकवि /बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
(इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित)
==========