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10 Jun 2021 · 1 min read

आओ मिलकर दीप जलाएं

आओ मिलकर दीप जलाएं
अपने अंतर्मन में अलख जगाएं

बाहर की रौशनी तो बहुत हो चुकी
आत्मा को जाग्रत करने वाली लौ बनाएं

बाहर का दीपक एक प्रथा -दुनियादारी है
आंतरिक दीपक उस परब्रह्म तक जाने की तैयारी है

सकंल्प लेते हुए इस दीपक की अग्नि में पाँचों विकारों (काम -क्रोध -मद -लोभ और अहंकार )को जलाएं
अपने आपको उस दीपक के तेल में नहला कर आत्मा को पवित्र बनाएं

जलाएं एक ऐसा दीपक जिससे की हम अनगिनत भटके हुओं को राह दिखाएं
हर आरती में आने वाले तेरा तुझको अर्पण की परिभाषा समझाएं

आओ मिलकर दीप जलाएं

नाम -विकास शर्मा ‘शिवाया’
उक्त रचना मेरी पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित रचना है !

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 311 Views
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