आओ मिलकर करें इबादत
आओ मिलकर करें इबादत उनकी भी खुशहाली की।
भिड़े समर में कोरोना से,फिक्र नहीं घरवाली की।
चिंता नहीं जिन्हें बच्चों की,
निर्भय कर्म निभाते हैं,
और दूसरों की सेवा में
दिन अरु रात लगाते हैं।
परसेवा परसुख मकसद है, करें भूमिका माली की।
आओ मिलकर करें इबादत उनकी भी खुशहाली की।
बचा रहे जीवन औरों को
ये जीवन के दाता हैं।
कोरोना का जहर काटने,
वे ही बने विधाता हैं।
बांट रहे नित औरों को ही,रोटी अपनी थाली की।।
आओ मिलकर करें इबादत उनकी भी खुशहाली की।