आओ बैठो पास हमारे
आओ बैठो पास हमारे
रूठना कैसा साथी अब
आओ बैठो पास हमारे
देखेंगे हम एक दूजे को
हुआ अंधेरा दीया बारें
रूप यौवन चार दिनों का
हम प्रेम पर दिल हैं हारे
काँटे पत्थर खूब मिलेंगे
पथ प्रशस्त हो साथ हमारे
अब मृत्यु से भय ही कैसा
जब चलना है साथ तुम्हारे
गीत गाएगा ये जग इक दिन
जब प्रेम खिलेगा सबके द्वारे
साथी अब तो हाथ बढ़ा दो
घिर आए लो बदरा कारे
उठी हिलोर देखो सागर में
प्रेम लिखें अब साँझ सकारे
#डॉभारतीवर्माबौड़ाई