आओ बनायें एक और कलाम
मैं कलाम का आशिक हूँ।दिवाना हूँ और अपनी प्रेरणा का मुख्य किरदार इस महान शख्स के भीतर ही पाता हूँ।मेरे शब्द असक्षम हैं पर भावना अत्यंत प्रबल है।सच पुछिए तो मैं कलाम का पुजारी हूँ।मेरे देश की धरती ऐसे अनगिनत कलाम इस धरती पर पैदा कर तू स्वयं धन्य हो जायेगी।मेरी भावना का कुछ तो उपहार कलाम के रुप में दे और ऐसा नहीं हो सकता है तो मुझे भी कलाम होने का वरदान दे।
भारत माँ तेरे इस सपूत की आत्मा तुझे युगों युगों तक धन्य बनाती रहेगी
और सारी धरती को कलाम की याद आती रहेगी।
युगों-युगों तक अमर जिसकी जीवित कहानी रहेगी
कलाम वो जादूगर है दुनिया हमेशा जिसकी दिवानी रहेगी।
भारत इस महान संत का ऋण किसी भी स्थिति में कभी भर नहीं सकता
कलाम वो है जो देह से मर सकता है मगर विचार से कभी भी मर नहीं सकता।
आइए इस यात्रा पर आपको लेकर चलता हूँ और हिन्गलिश में एक कविता आप सभी को समर्पित है उस पुण्य आत्मा को श्रद्धांजलि स्वरूप।
जय हिंद जय कलाम
अब जाग जाइए कृपा निधान
आप सुन रहे हैं मेरी जबान-ये आदित्य की ही कलम है श्रीमान
वो जमीन से चला
आकाश में मिसाइल बना मैन
धर्म और विज्ञान का योग
सारी दुनिया रही जिसकी फैन
इंसान से बढ़कर एक आदमकद
प्राचीन सोच पर लगाया जिसने बैन
सपनों की दुनिया”अग्नि की उड़ान”
लक्ष्य पूरा हुआ तभी मिला चैन
आज खामोश है
हमेशा के लिए जो हो गया मौन
आइए सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें
अपनों के बीच से फिर निकालें
एक नया कलाम
जो लिखे पुनः इतिहास बनाये नवीन आयाम
कलाम है तो कलाम
दिलों से लाखों-लाखों सलाम
कलाम अमर है वो मर नहीं सकता
भारत उसका ऋण कभी भर नहीं सकता
डट के करें काम
खुब कमाये नाम
आओ बनाए एक और नया कलाम
पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन की अलख
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.