आओ प्रिये कुछ प्रीत की बातें हो जाए!
आओ प्रिये कुछ प्रीत की बातें हो जाये ,
चलो एक बार लैला-मजनू बन जाये |
सुनो, कैसे प्रीत जताओगे कुछ करार हो जाये ,
चलो मेरे मन के सावन का मल्हार हो जाये |
आओ कुछ प्रीत …
मैं जिद कर लूं क्या कुछ तोहफ़ा हो जाये ,
तुम्हारी सारी सांन्सो में, मेरा नाम बस जाये |
आओ कुछ प्रीत …
आओ चलो एक बार आंख मिचोली हो जाये ,
मैं छुप जाऊ तुम्हारे ह्रदय में तुम्हारी हार हो जाये |
आओ कुछ प्रीत …
एक बार ठंडी पवन के झोंके की लहर आ जाये,
लिपट जाऊ तुमसे, मेरे दिल को करार आ जाये |
आओ कुछ प्रीत …
तुम्हारे दिल के गलियारे मे चहलकदमी हो जाये,
तितली सी फ़िरु मैं, मन का श्रृंगार हो जाये |
आओ कुछ प्रीत ….
युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
मुरादाबाद |