आओ प्रियवर गले लगा लूँ
आओ प्रियवर गले लगा लूँ
★★★★★★★★★★
आओ प्रियवर गले लगा लूँ ,
हर्षित मेरा मन हो जाए।
लौट आओ सदा जीवन भर,
फिर से बगिया को महकाए।।
कब तक दूर रहोगे मुझसे,
कब तक गले लगाओगे।
ठीक होकर वापस आना,
अपना फर्ज निभाओगे।
आओ बैठ हम करें बातें,
फिर से जीवन को महकाए।
आओ प्रियवर गले लगा लूँ ,
हर्षित मेरा मन हो जाए।।
तड़प रहा मन मंदिर मेरा,
जल्दी से तुम आ जाओ।
मन की व्याकुलता बढ़ गई,
अमृत जल बरसा जाओ।
एक बूँद ही टपक टपक कर,
पूरा तन भीगा जाए।
आओ प्रियवर गले लगा लूँ ,
हर्षित मेरा मन हो जाए।।
बाधाओं को करो पार अब,
रोगों से भी है लड़ना सब।
बिघ्न एक दिन हट जाए,
अमर प्रेम-बंधन हो जाए।
उजड़ी-उजड़ी बाग रही जो,
उसको फिर से मधुर कराए।
आओ प्रियवर गले लगा लूँ ,
हर्षित मेरा मन हो जाए।।
=================
स्वरचित-©®
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़,भारत
मो. 8120587822