आओ पेड़ लगाए
देखो ये क्या कहर हुआ
जलवायु में जहर हुआ
कटता जंगल मिटते प्राणी
सिमट रही है चूनर धानी
धरती भी है बांझ हुई
जीवन की है सांझ हुई
दूषित भोजन और पानी
है सब मानव की मनमानी
धरती मां को आओ संवारे
प्रदूषण से इसे उबारे
भूलों को हम राह दिखाएं
आओ मिल कर पेड़ लगाएं