©आओ ! देश संग जग को सामाजिक बनाएँ जिसमें संवेदनशीलता की साँसे चलवाएँ ©डॉ.अमित कुमार दवे
©आओ ! देश संग जग को सामाजिक बनाएँ
जिसमें संवेदनशीलता की साँसे चलवाएँ
©डॉ.अमित कुमार दवे
आओ समाज से समाजिक बन जाएँ..
सम्यक् आज पर बेहतर कल बनाएँ..
सम्यक् समझ अब सब में वितराएँ
सम् समझ सम् वेदना का पाठ पढ़वाएँ..
आओ देश को फिर सामाजिक बनाएँ..
जिसमें संवेदनशीलता की साँसे चलवाएँ।।1।।
लोभ-उत्कोच-हिंसा को नित दूर भगाएँ..
छद्म संवेदनाओं का व्यापार रूकवाएँ..
एक में सब,सब में एक के भाव पनपाएँ..
हर जन का हाथ नित सहयोगी बनवाएँ..
आओ देश को फिर सामाजिक बनाएँ..
जिसमें संवेदनशीलता की साँसे चलवाएँ।।2।।
हर जन के सुखद सपने सच करवाएँ…
नहीं लोभ की खेती में शिक्षा को पनपाएँ,
नवीन सोच रख नव जीवन की नींव रखवाएँ
संस्कार-मूल्यों और आदर्शों से नित सिंचवाएँ..
आओ देश को फिर सामाजिक बनाएँ..
जिसमें संवेदनशीलता की साँसे चलवाएँ।।3।।
ईर्ष्या, वैर,प्रतिस्पर्द्धा को आज से दूर भगाएँ.
स्नेह,सहयोग और सद्भाव का प्रकाश फैलाएँ
मनुष्य में मनुजता, नागरिक में नागरिकता का.
विकास स्वतः हो ऐसा कोई अब मार्ग बनवाएँ.
आओ देश को फिर सामाजिक बनाएँ..
जिसमें संवेदनशीलता की साँसे चलवाएँ।।4।।
नहीं लोभ की खेती में शिक्षा को पनपाएँ
स्नेह,सहयोग और सद्भाव का प्रकाश फैलाएँ
एक में सब,सब में एक के भाव पनपाएँ..
सहृदयी भावों से तन पर,मन एक करवाएँ..
आओ देश को फिर सामाजिक बनाएँ..
जिसमें संवेदनशीलता की साँसे चलवाएँ।।5।।
व्यवहार को जग में जीवन का आधार बनाएँ
जीवन सबका सही मायनों में जीवन बनवाएँ.
छल-कपट-मद-मोह का वर्चस्व कम करवाएँ
जीवन का अब मोल सबको जग में समझाएँ..
आओ ! देश संग जग को सामाजिक बनाएँ
जिसमें संवेदनशीलता की साँसे चलवाएँ।।6।।
(संदर्भ : ©सामाजिक संवेदनशीलता)
©डॉ.अमित कुमार दवे,खड़गदा