आओ दीप जलाएं
‘आओ हम सब मिल एक दीप जलाएं’
आलोकित हो घर-आंगन
झूम उठे सबका पुलकित हो मन
ऊपर नभ मुस्काए
आओ हम सब मिल एक दीप जलाएं.
मधुर स्मृतियों की थाती और
स्नेह अर्चना-सा यह जीवन
हो मधुमय पावन-पर्व सभी हर्षाएं
आओ हम सब मिल एक दीप जलाएं.
विगलित व्यथा
अमित शांति की
अनुपम ज्योति जलाएं
आओ हम सब मिल एक दीप जलाएं.
मनोकामना यही हमारी
सब मिल हम
सुख का साज सजाएं
आओ हम सब मिल एक दीप जलाएं.
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० सूर्यनारायण पाण्डेय