आओ तो सही,भले ही दिल तोड कर चले जाना
आओ तो सही,भले ही दिल तोड़ कर चले जाना।
बाहें फैलाऊंगी,भले ही उन्हें मोड़ कर चले जाना।
मुद्दत्तो से प्यासी बैठी हूं,भले ही प्यास न बुझाना।
वादे किए मुद्दतो से,भले ही तोड़ कर चले जाना।।
मन को बुहारा है मैने,दिल को बहुत समझाया मैने।
पलके बिछाए बैठी हूं,भले ही छोड़ कर चले जाना।।
नगमे बहुत लिखे है मैने,तेरी याद में दिन रात मैने।
एक बार आओ तो सही,भले ही सुनकर चले जाना।।
बीमार बहुत हूं मैं,कोई दवाई भी अब नही लगती।
तुम मेरे हकीम हो,भले ही दवाई देकर चले जाना।।
खत्म करो ये गिले शिकवे,अब मान भी जाओ।
प्यार से बुलाऊंगी मै,तुम दौड़ कर चले आना।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम